एडवोकेट अमेंडमेंट बिल 2025: वापस लेने के कारण
एडवोकेट अमेंडमेंट बिल 2025 को वकीलों के भारी विरोध के कारण वापस ले लिया गया। वकील समुदाय ने कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताई, जिन्हें उन्होंने अपने अधिकारों और स्वतंत्रता के खिलाफ बताया। इस बिल को वापस लेने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
1. हड़ताल और बहिष्कार पर प्रतिबंध
- प्रावधान: बिल की धारा 35A के तहत, वकीलों को हड़ताल करने या अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करने से रोका गया था।
- आपत्ति: वकीलों का कहना था कि यह उनके विरोध करने और अपनी बात रखने के अधिकार का उल्लंघन करता है।
- प्रभाव: हड़ताल या बहिष्कार करने वाले वकीलों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती थी, जिससे उनकी वकालत की मान्यता रद्द की जा सकती थी।
2. पेशेवर कदाचार (Misconduct) की परिभाषा का विस्तार
- प्रावधान: धारा 45B के अनुसार, किसी भी ग्राहक को वकील की गलती से नुकसान होने पर वह पेशेवर कदाचार की शिकायत कर सकता था।
- आपत्ति: वकीलों ने कहा कि यह प्रावधान उन्हें अनावश्यक कानूनी मुकदमों और उत्पीड़न का शिकार बना सकता है।
- प्रभाव: खासकर नए वकीलों के लिए यह प्रावधान जोखिम भरा था, क्योंकि शुरुआती गलतियों के कारण उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती थी।
3. कॉर्पोरेट और विदेशी वकीलों को शामिल करना
- प्रावधान: बिल में कॉर्पोरेट वकीलों, इन-हाउस काउंसल और विदेशी कानूनी कंपनियों को "विधिक पेशेवर" की श्रेणी में शामिल किया गया था।
- आपत्ति: भारतीय वकीलों को डर था कि विदेशी कानूनी कंपनियां और बड़ी कॉर्पोरेट फर्में भारतीय वकीलों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ा देंगी।
- प्रभाव: इससे भारतीय स्वतंत्र वकीलों के लिए काम के अवसर कम हो सकते थे और बाहरी हस्तक्षेप बढ़ सकता था।
4. बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) में सरकारी हस्तक्षेप
- प्रावधान: धारा 4 के तहत, केंद्र सरकार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) में तीन सदस्यों को नामित करने का अधिकार दिया गया था।
- आपत्ति: वकीलों का मानना था कि यह BCI की स्वायत्तता को प्रभावित करेगा और सरकार का सीधा नियंत्रण बढ़ाएगा।
- प्रभाव: इससे वकीलों के हितों की स्वतंत्र सुरक्षा प्रभावित हो सकती थी और सरकारी हस्तक्षेप बढ़ सकता था।
5. एक बार-एक वोट नीति
- प्रावधान: धारा 33A के तहत, वकीलों को केवल एक बार एसोसिएशन में पंजीकरण करने और केवल उसी में मतदान करने का प्रावधान किया गया था।
- आपत्ति: वकीलों ने इसे उनकी स्वतंत्रता और मतदान अधिकार पर प्रतिबंध बताया।
- प्रभाव: इससे वकीलों के संगठन कमजोर हो सकते थे और उनकी निर्णय लेने की शक्ति प्रभावित हो सकती थी।
6. देशव्यापी विरोध प्रदर्शन और हड़ताल
- भारतभर में वकीलों ने विरोध प्रदर्शन किया और बिल को वापस लेने की मांग की।
- बार काउंसिल और वरिष्ठ वकीलों ने इसे वकीलों के अधिकारों के खिलाफ बताया।
- सरकार पर दबाव बढ़ने के कारण बिल को वापस लेना पड़ा।
निष्कर्ष
एडवोकेट अमेंडमेंट बिल 2025 को वापस लेने का मुख्य कारण वकीलों के अधिकारों, स्वायत्तता और पेशेवर सुरक्षा को लेकर उनकी आपत्तियाँ थीं। वकील समुदाय ने सरकार के हस्तक्षेप, विरोध प्रदर्शन पर रोक और पेशेवर कदाचार के प्रावधानों का विरोध किया, जिससे यह बिल वापस ले लिया गया।
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