घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 की धारा 12 के तहत मामला दायर करने की प्रक्रिया

महिला अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 (DV Act) की धारा 12 के तहत घरेलू हिंसा की शिकायत कर सकती है। यह शिकायत मजिस्ट्रेट कोर्ट में दर्ज कराई जाती है। प्रक्रिया निम्नलिखित है:

1. शिकायत तैयार करना

पीड़ित महिला को या उसके वकील को एक लिखित शिकायत तैयार करनी होती है, जिसमें घरेलू हिंसा के सभी तथ्यों का उल्लेख किया जाता है। शिकायत में निम्नलिखित बातें होनी चाहिए:

  • महिला पर हुए घरेलू हिंसा के प्रकार (शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, यौन या अन्य)
  • आरोपी व्यक्ति का विवरण (पति, ससुराल वाले, अन्य संबंधित व्यक्ति)
  • राहत की मांग (रहने के अधिकार, संरक्षण आदेश, भरण-पोषण, प्रताड़ना रोकने का आदेश, क्षतिपूर्ति आदि)

2. संबंधित मजिस्ट्रेट कोर्ट में आवेदन दाखिल करना

महिला या उसका वकील मजिस्ट्रेट कोर्ट में घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के तहत आवेदन दायर करता है।

3. सुरक्षा अधिकारी की रिपोर्ट

  • सुरक्षा अधिकारी (Protection Officer) को मामले की जानकारी दी जाती है।
  • सुरक्षा अधिकारी घटना की रिपोर्ट तैयार करता है और मजिस्ट्रेट को सौंपता है।
  • हालांकि, सुरक्षा अधिकारी की रिपोर्ट के बिना भी महिला मजिस्ट्रेट कोर्ट में सीधे आवेदन कर सकती है।

4. कोर्ट द्वारा समन जारी करना

  • मजिस्ट्रेट शिकायत का संज्ञान लेने के बाद आरोपी को समन जारी करता है।
  • आमतौर पर समन जारी होने के बाद 30 दिनों के भीतर मामले की सुनवाई शुरू की जाती है।

5. अंतरिम राहत (Interim Relief) का आदेश

  • अगर महिला को त्वरित सुरक्षा की जरूरत हो, तो कोर्ट तुरंत अंतरिम आदेश (Interim Order) जारी कर सकता है।
  • यह आदेश आरोपी को पीड़िता से दूर रहने, उसे प्रताड़ित न करने या किसी विशेष राहत प्रदान करने से संबंधित हो सकता है।

6. पक्षों की सुनवाई और साक्ष्य प्रस्तुत करना

  • दोनों पक्ष कोर्ट में अपने-अपने साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं।
  • यदि आवश्यकता हो, तो कोर्ट साक्ष्य की जांच करता है और गवाहों से पूछताछ करता है।

7. अंतिम निर्णय (Final Order)

  • कोर्ट सभी तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर अंतिम आदेश पारित करता है।
  • आदेश में संरक्षण, निवास, भरण-पोषण, क्षतिपूर्ति या अन्य राहत शामिल हो सकती है।

8. आदेश के पालन की निगरानी

  • अगर आरोपी आदेश का पालन नहीं करता है, तो पीड़िता धारा 31 के तहत मामला दर्ज करा सकती है, जिसमें आरोपी को 1 वर्ष तक की सजा या जुर्माना हो सकता है।

महत्वपूर्ण बिंदु:

  1. इस कानून के तहत महिला फ्री लीगल ऐड का लाभ ले सकती है।
  2. मामला महिला के निवास स्थान या आरोपी के निवास स्थान वाली मजिस्ट्रेट कोर्ट में दाखिल किया जा सकता है।
  3. कोई भी महिला, चाहे वह विवाहित हो, लिव-इन रिलेशनशिप में हो, या परिवार के किसी अन्य सदस्य द्वारा पीड़ित हो, शिकायत दर्ज कर सकती है।

अगर आपको इस प्रक्रिया में मदद चाहिए तो आप किसी कुशल वकील की सहायता ले सकते हैं।